सोनी आज खुश है
जब मैंने उसे पहली बार टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के ग्राउंड फ्लोर के कमरा नंबर 84 के बाहर बेंच पर बैठे देखा था तो उसने अपना हाथ सर पर रखा हुआ था । वह गहरे सांवले रंग की बेहद दुबली पतली बहुत ही गमगीन स्त्री थी जिसका पेट कुछ अजीब तरीके से फूला हुआ था I उसके पास में काला बैग रखा था और गोद में एक नया सा थेला था, लगता था जैसे दवाई आदि सामान के लिए हो Iउसकी गरीबी , बिमारी और निराशा एक साथ दिखती थी
अगले दिन फिरवही कहानी थी पर आज वह मेरे पास वाली सीट पर बैठी थी । मैंने पूछा आपको क्या हुआ है? उसने जवाब दिया - सोनी को लीवर का कैंसर है ना , आखिरी स्टेज है डॉक्टर ने कहा है सोनी बस अब तू दो-तीन महीने की मेहमान है । पेट में गांठ बहुत बढ़ गई है I
किसी व्यक्ति को मृत्यु के इतने करीब , इतनी साफगोई से अपनी मौत के बारे में बताते हुए मैंने पहली बार सुना था । मुझे बड़ा झटका लगा । वह जो अपना सर पकड़ कर बैठी थी उसका कारण मालूम हो गयाI जिंदगी का अंत निकट जानकर उसको संपूर्णता से स्वीकार कर लेना, कतई आसान नहीं है । मृत्यु तो जीवन का सबसे बड़ा सत्य है पर मानव मन उसको कहां स्वीकार करता है
मैंने बात आगे बढ़ाई पूछा तुम्हारे साथ कौन आया है ? वह बोली सोनी तो अकेली है सोनी तो वैसे बेंगलुरु की है, यहां टाटा हॉस्पिटल में इलाज के लिए आई है
मैंने गौर किया कि वह अपने आप को अपने ही नाम से संबोधित करती है। मैंने पूछा तो फिर परिवार बेंगलुरु में होगा तुम्हारा पति क्या करता है
सोनी का पति तो बेंगलुरु में है । पर सोनी को उसका पता नहीं है वह बेवड़ा था ना । पहले तो सोनी घरों में साफ-सफाई का काम करती थी, फिर सोनी बिमार हो गई तो उसने घर से निकाल दिया । फिर सोनी को बेंगलुरु में एक डॉक्टर बोला सोनी तू टाटा हॉस्पिटल चली जा वहां तेरा इलाज होगा तो सोनी 2019 में टाटा हॉस्पिटलआ गई I यहां पर 3 महीने इलाज चला था I फिर डॉक्टर ने कहा सोनी अब तू ठीक है अब 6 महीने बाद आना आगे का इलाज करेंगे I फिर सोनी तो बेंगलुरु चली गई और फिर आ गया कोरोना । सोनी तो फिर बेंगलुरु में फंस गई और ऊपर से दोनों बच्चे को भी उसका आदमी उसके पास छोड़ गया । सोनी करे तो क्या करें ? अब 2 साल बाद वापस टाटा हॉस्पिटल आई तो डॉक्टर बोला सोनी तुझसे लापरवाही हो गई अब तो गॉठ फैल गई है I अब तो तू दो-तीन महीने की मेहमान है I हम तेरा इलाज करेंगे , दर्द जितना कम हो सकता है उतनी कोशिश करेंगे अब तो सोनी तो चिंता में पड़ गई बच्चों का क्या होगा ? बस सोनी को बच्चों की चिंता है
मैंने फिर से बात आगे बढ़ाई और पूछा - तू क्या फुटपाथ पर रहती है, खर्चा कैसे चलता है ? वह बोली सोनी रहती है नाला सुपारा में, जब डॉक्टर बुलाता है तो सोनी बस में बैठ कर आ जाती है । खर्चा तो वह कमरा नंबर 35 है ना टाटा हॉस्पिटल की गोल्डन जुबली बिल्डिंग में, वहां से टाटा हॉस्पिटल के कार्ड में पैसा डलवा देते हैं और ₹3000 मिल भी जाता है I कुछ लोग सहायता कर देते हैं बस इससे सोनी का किराया और बाकी काम निकल जाता हैI
उसके हालात का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं था , मैंने उसके पास रखे काले बैग को लक्ष्य किया और पूछा तो यह तेरा सारा सामान है।
अरे नहीं , सोनी को यहां बैठे-बैठे किसी ने कहा सोनी यहां पास में केइएम हॉस्पिटल है वहां कोई संस्था है जो एक बार में तीन दिन का चावल दाल मसाला देती है तो सोनी वहां चली गई । अब जब भी टाटा हॉस्पिटल आती हूं तो केइएम हॉस्पिटल चली जाती हूं । आज सुबह गई थी तो संस्था वालों ने तीन दिन का दाल चावल दे दिया । वही इस काले बैग में रखा है
इतनी बात हो रही थी कि डॉक्टर के पास हमारा नंबर आ गया । वापस हम कमरे से बाहर आए तो वह जा चुकी थी । फिर अगले सात दिन तक वह दिखी नहीं ।
मेरी पत्नी के इलाज का आज आखिरी दिन था । रोज की तरह डॉक्टर के कमरे के बाहर अपने नंबर का इंतजार कर रहे थे कि वह दिखी । आज उसके पास काले रंग के बैग के अलावा दो कट्टों में भरा सामान भी था । मैंने हाल-चाल पूछा तो बोली डॉक्टर ने कहा है एक टेस्ट करवाओ फिर आना सोनी । इतना सामान देखकर मैंने पूछा क्या आज घर जा रही हो तो बोली अब कहां जाना है । यह सामान तो संस्था वालों ने दिया है I पिछली बार गई थी तो संस्था वालो ने कहा सोनी टाटा के डॉक्टर से लिखवा ला फिर हम तुम्हें 1 महीने का राशन एक साथ दे देंगे । फिर सोनी ने डॉक्टर से लिखवा लिया I आज संस्था वालों ने 1 महीने का राशन दे दिया और इलाज के लिए हॉस्पिटल के कार्ड में ₹25000 डलवा दिएI अब चिंता नहीं है ।
और पिछले हफ्ते मैं डॉक्टर से बोली सोनी तो दो-तीन महीने की मेहमान है मेरे बाद मेरे बच्चों का क्या होगा ? सोनी तो बस रोने लग गई । तो डॉक्टर बोला कि मैं तुझे एक लेटर दे देता हूं यह अनाथ बच्चों की संस्था है , बच्चों को वहां भेज देI फिर सोनी एक ही दिन में बेंगलुरु जाकर बच्चों को ले आई और कल बच्चों को अनाथालय भी छोड़ आई I बहुत अच्छा अनाथालय हैI बिजली पानी लगा है । बच्चों को पढ़ाई करवाएंगे और 18 साल पूरे होने तक रखेंगे तो बस सोनी आज बहुत खुश हैं , सोनी कि सब चिंता खत्म हो गई हैI
बस इतनी ही बात हुई थी कि हमारा नंबर पुकारा गया और हम डॉक्टर के पास चले गए । शाम को मुंबई से जयपुर की फ्लाइट थी । मुंबई एयरपोर्ट पर लोगों की भारी भीड़ थी उनके कपड़ों, बैग ,जूते और मोबाइल से उनके अमीर होने का अंदाजा लग जाता है पर मैंने गौर किया कि अधिकतर व्यक्ति तनाव में हैं, गुमसुम है या यूं ही बिना बात उदास और बोरियत से भरे टाइम पास करने के लिए अपने मोबाइल को घूर रहे हैं I बहुत ही कम लोग थे जो मुस्कुरा रहे थे I मन में अचानक सोनी का कहा आखिरी वाक्य ध्यान आया “सोनी आज बहुत खुश है सोनी की सब चिंता खत्म हो गई है”
इस बात का ध्यान आने के बाद पता नहीं क्यों मन पर एक अजीब सी गहरी उदासी छा गई । पूरे फ्लाइट में निशब्द बैठा रहा।
( राजेश गुप्ता)